मार्शल योजना-Marshall Plan
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यूरोप में साम्यवाद के प्रसार को रोकने के लिए अमरीकी विदेश सचिव जॉर्ज मार्शल ने जुलाई, 1947 में एक योजना को लागू किया जिसे मार्शल योजना के नाम से जाना जाता है । द्वितीय विश्वयुद्ध में प्रथम विश्वयुद्ध की तुलना में अत्यधिक तबाही हुई थी । इस विश्वयुद्ध में दुनियाभर के करोड़ों लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी ।
द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद जॉर्ज मार्शल ने यूरोप का दौरा किया तथा 26 अप्रैल,1947 को दौरे से वापिस वाशिंगटन लौटने के बाद इस बात पर बल दिया कि यदि यूरोपीय देशों को तुरंत आर्थिक सहायता नहीं दी गई तो उनके साम्यवादी होने का खतरा बढ़ जाएगा । परिणामस्वरूप अमरीकी राष्ट्रपति ट्रूमैन ने जॉर्ज मार्शल द्वारा दिये गए सुझाव के अनुसार पश्चिमी यूरोपीय देशों के आर्थिक पुनर्निर्माण तथा इन देशों में व्याप्त बेकारी, भुखमरी, निर्धनता, साधनहीनता और अव्यवस्थाओं को समाप्त करने के उद्देश्य से मार्शल योजना शुरू की ।
इस योजना के अंतर्गत चार वर्षों (1947 -1951) में अमरीका ने यूरोपीय देशों को 12 बिलियन डॉलर की सहायता प्रदान की । इस योजना द्वारा एक ओर जहां पश्चिमी यूरोप आर्थिक पतन तथा साम्यवादी आधिपत्य से बच गया वहीं दूसरी ओर अमेरिका पश्चिमी यूरोप का सर्वमान्य नेता बन गया ।
पश्चिमी यूरोप को फिर से पटरी पर लाने के लिए यह एक बहुत ही सराहनीय योजना थी ।जॉर्ज मार्शल अमेरिकी सेना में कैप्टन थे । राष्ट्रपति ट्रूमैन के समय में वह विदेश सचिव व रक्षा सचिव के पद पर रहे । जॉन मार्शल को इस अद्भुत कार्य के लिए 1953 में नोबेल पुरस्कार भी दिया गया ।
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